सभ्यता की सीढ़ी पर पहले कदम महिलाओं के ही पड़े…..

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सामाजिक श्रम ही वह विशेषता है जो मनुष्यों को पशुओं से अलग करता है। शुरुआत में यह विशेषता सिर्फ महिलाओं के पास थी। इस तरह से हम कह सकते है कि महिला ही मानव जाति की पहली किसान, पहली डाक्टर, पहली वैज्ञानिक, पहली नर्स, पहली आर्किटेक्ट, पहली इंजीनियर, पहली अध्यापक, पहली कलाकार, पहली भाषाविद, और पहली इतिहासकार थी। वे जिस घर का संचालन करती थी, वे महज रसोई और नर्सरी ही नही थे, वरन पहली फैक्टरी, पहली प्रयोगशाला, पहली क्लिीनिक, पहले स्कूल, व पहले सामाजिक केद्र थे।
ख्यात समाजवादी नेत्री एवलिन रीड ने यह विचार अपनी पुस्तक Woman’s evolution में रखा है।
दरअसल हम जिस शिक्षा व्यवस्था व समाज व्यवस्था में पले बढ़े है, वहां मानव का विकास आदमी [male] के विकास के पर्यायवाची के तौर पर पढ़ाया जाता है। याद कीजिए वानर से नर बनने की प्रकिया बताते समय जो चित्र किताबों में उधृत किया जाता है वह आदमी [male] का ही होता है। अवचेतन में यह बात होती है कि हमेशा ही महिलाओं ने पुरुषों का अनुसरण किया है। इस धारणा का प्रमुख कारण आज का पितृसत्तात्मक समाज है जिसने हमारे दिमाग को कई रुपों में ‘कन्डीशन्ड’ किया हुआ है।
यहां तक कि जब तक ‘एन्थ्रोपोलाजी’ में महिला शोधकर्ताओं का प्रवेश नही हुआ था तब तक एन्थ्रोपालाजी में भी प्रागैतिहासिक काल में महिलाओं की भूमिका को नजरअंदाज किया जाता था। एन्थ्रोपालाजी में महिला शोधकर्ताओं के प्रवेश और मार्क्सवादी विचारों के प्रभाव के बाद ही प्रागैतिहासिक काल में महिलाओं की भूमिका पर समुचित प्रकाश पड़ा।
अब तो इस पर तमाम गम्भीर शोध हो चुके है। इन्ही शोधों को आधार बनाकर एवलीन रीड ने यह महत्वपूर्ण पुस्तक लिखी है। और इस बात को सफलतापूर्वक स्थापित किया है कि सभ्यता की सीढ़ी पर पहले कदम महिलाओं के ही पड़े। पुरुषों ने महिलाओं का अनुसरण किया।

EVELYN REED

EVELYN REED


आज पुरुष प्रधान समाज में अक्सर महिलाओं की भिन्न शारीरिक संरचना को समाज में उनके दोयम दर्जे के लिए जिम्मेदार समझा जाता है।
लेकिन एवलीन रीड कहती हैं कि यह भिन्न शारीरिक संरचना यानी ‘मातृत्व की क्षमता’ शुरुआत में महिलाओं की ताकत थी कमजोरी नही। एवलिन रीड लिखती है – ‘अपनी शारीरिक संरचना के कारण ‘फीमेल सेक्स’ कमजोर नही बल्कि मजबूत स्थिति में थी। निश्चित रुप से उस समय ‘मेल सेक्स’, ‘फीमेल सेक्स’ से शारीरिक रुप से मजबूत था और उसके नुकीले दांत उसकी लड़ने की क्षमता को बढ़ा देते थे। लेकिन ‘फीमेल सेक्स’ अपनी आपसी सहयोग की क्षमता और सामूहिक कार्यवाही की ताकत के कारण किसी ‘एक मेल सेक्स’ पर बहुत भारी पड़ती थी।
इसके अलावा ‘मां’ के रुप में उनका अपने नौजवान लड़कों पर सामाजिक प्रभाव उस समय के नजदीक के बन्दर जाति से कही अधिक होता था। महिलाओं की इसी विशेष स्थिति ने उन्हे इस योग्य बनाया कि वे सामाजिक जीवन के लिए आवश्यक नियम कानून को संस्थाबद्ध कर सकी।

वास्तव में इस बात पर बहुत कम ध्यान दिया गया है कि कैसे ‘मातृत्व’ ने व्यक्ति से समाज की ओर छलांग लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। मशहूर एन्थ्रोपोलाजिस्ट राबर्ट ब्रीफाल्ट ने तीन भागों में लिखी अपनी महत्वपूर्ण पुस्तक मदर्स में मातृत्व की भूमिका पर महत्वपूर्ण रोशनी डाली है। एवलिन रीड ने अपनी पुस्तक में राबर्ट ब्रीफाल्ट को विस्तार से उदधृत करते हुए मातृत्व को महिला की ताकत के रुप में दर्शाया है। एवलिन रीड लिखती है – ‘अपनी पुस्तक ‘मदर्स’ में राबर्ट ब्रीफाल्ट ने दिखाया है कि कैसे पशु जगत में मातृत्व की देखभाल ने मानव जगत के व्यापक व उच्चतर विकास के लिए जमीन तैयार की, जिसे हम सामाजिक देखभाल कह सकते हैं, जहां झुण्ड के सभी लोग एक दूसरे की सुरक्षा व देखभाल करते है। दूसरे तरीके से इसे हम यूं कह सकते हैं कि ‘फीमेल सेक्स’ में लालन पालन का जो सहज गुण होता है उसने ‘फीमेल सेक्स’ को इस योग्य बनाया कि वह अपने विकास क्रम में पशुजगत की इस सहज प्रवृत्ति को उंचे धरातल पर ले जाकर इसे सामाजिक व्यवहार से बदल दे।’ ………
वास्तव में ‘मेल पशु’ को जहां सिर्फ अपनी चिन्ता होती है वही ‘फीमेल पशु’ को अपने साथ साथ अपने बच्चों की भी चिन्ता करनी होती है। व्यक्तिवाद से अलग यह प्रवृत्ति ही वह शुरुआती बिन्दु था जो पशु जगत की प्रवृत्तियों को परिवर्तित करते हुए विकास के क्रम में वहां पहुंचा जहां सामाजिक प्राणियों के लिए जरुरी नई आदतों का निर्माण सम्भव हुआ।
फ्रेडरिक एंगेल्स ने विस्तार से यह बताया है कि वानर से नर बनने की प्रक्रिया में निर्णायक भूमिका श्रम की है। यहां यह ध्यान रखना जरुरी है कि विशेष शारीरिक बनावट के कारण महिलाओं और पुरुषों के बीच पहला श्रम विभाजन यह था कि पुरुष शिकार पर केन्द्रित थे जबकि महिलाएं अपने निवास के आसपास फल – अनाज संग्रह पर केद्रित थी। महिलाएं कन्द मूल इकट्ठा करने के लिए डिगिंग [खोदना] का सहारा लेती थी। इसी डिगिंग प्रक्रिया से आगे चलकर खेती की शुरुआत हुई। इसलिए अब यह मानी हुई बात है कि खेती की शुरुआत महिलाओं ने ही की। यह भी स्थापित बात है कि जहां शिकार भोजन का स्थाई स्रोत नही था वहीं प्रारंभिक खेती या अन्न संग्रह भोजन का स्थाई स्रोत था। मातृसमाज बनने में इस फैक्टर ने निश्चय ही महत्वपूर्ण भूमिका निभायी होगी।
वानर से नर बनने में जिस श्रम की बात एंगेल्स करते है वह निश्चय ही सामाजिक श्रम है। और यह न मानने का कतई कोई कारण नही है कि सामाजिक श्रम की परिस्थितियां महिलाओं की तरफ ज्यादा अनुकूल थी।
मशहूर इतिहासकार गार्डन चाइल्ड ने अपनी पुस्तक what happened in history में इसे इस तरह कहा है- ‘नियोलिथिक रिवोल्यूशन को पूरा करने के लिए मानवजाति ने बल्कि निश्चित रुप से कहे तो महिलाजाति ने न सिर्फ उपयुक्त पौधों की और इसे पैदा करने की विधि की खोज की बल्कि जमीन को खोदने, बुआई करने और फसल को सहेज कर रखने और इसे भोजन में बदलने के लिए उचित उपकरणों की भी खोज की।’
गार्डन चाइल्ड ने मिट्टी के बर्तन बनाने की रासायनिक विधि, बुनकरी की भौतिकी, लूम की गतिकी और कपास की बाटनी को इजाद करने का श्रेय भी महिलाओं को ही दिया है।
निश्चित रुप से आग की खोज भी इसी प्रक्रिया में हुई। और यह पढ़कर सुखद आश्चर्य होता है कि आग का आविष्कार भी महिलाओं ने ही किया। एवलिन रीड तो यहा तक कहती हैं कि प्रारम्भ में महिलाएं आग का इस्तेमाल न सिर्फ पशुओं से अपनी रक्षा के लिए करती थी वरन पुरुषों से भी अपनी रक्षा के लिए इसका इस्तेमाल करती थी। पुरुषों ने बहुत बाद में जाकर आग पर काबू पाया।
एवलिन रीड मातृसत्तात्मक समाज और उससे पहले के युग में महिला पुरुषों के बीच सेक्स संबधों पर विस्तार से प्रकाश डालती है और इससे सम्बंधित आज के हमारे कई पूर्वाग्रहों को ध्वस्त करती हैं और यह स्थापित करती हैं कि महिलाओं का लंबे काल तक अपने सेक्स पर पूर्णतया अधिकार रहा है। यह अधिकार महिलाओं ने सिर्फ पितृसत्ता में आकर खोया है।
कुल मिलाकर यह किताब उन सभी लोगो के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जो किसी न किसी रुप में महिला सवालों और महिला मुक्ति से जुड़े हुए हैं।
इस किताब के महत्व व इसकी सार्थकता को देखते हुए मै इस किताब को आपसे भी साझा करना चाहती हूं। किताब के नाम पर क्लिक करके आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं।

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