Monthly Archives: October 2012

PARTITION REVISITED

फैजाबाद का दंगा पुर्वनिवोजित था . पिछले साल रुद्रपुर में हुआ दंगा भी ऐसा ही था. सुनिए रुद्रपुर दंगे पे बनी एक बेहतरीन ऑडियो फिल्म. PARTITION REVISITED (based on 2011 Rudrapur, Uttarakhand riots)_mpeg1video  

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वाह छोटे म़िया,क्या डांस है………….

वाह छोटे म़िया………………..बहुत खूब .

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नीलोफ़र

वह रोज़ मेरे ज़हन में शबनम बनके झरा करती है, चुपचाप.. स्मृतियों की हरी घास पर न जाने कब आकर चिपक जाती है लिपट जाती है मुझसे मुझे बचा लो… नहीं कर पाती मैं कुछ. क़तरा-क़तरा साफ शफ़्फ़ाक़ शबनम की … Continue reading

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तमाम कामचोर पैदा कर दिए, हिंदी की अकादमिक दुनिया ने-पंकज बिष्ट

कल चाय की दुकान पर बैठी चाय की चुस्कियंा ले रही थी, तभी मेरी नज़र उस पकौड़े वाले प्लेट पर पड़ी जो एक पुराने अखबार से ढका था। अखबार पर पंकज बिष्ट की तस्वीर थी। मैने उत्सुकता पूर्वक अखबार उठाया। अखबार … Continue reading

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जाने भी दो यारों-एक कल्ट फिल्म

      कल बहुत सालों बाद जाने भी दो यारों  दुबारा देखी। आश्चर्यजनक रुप से यह आज के हालात में कही ज्यादा प्रासंगिक लगी। आज भ्रष्टाचार का जो रुप है और उसमे रियल स्टेट – ब्यूरोक्रेसी – मीडिया का … Continue reading

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