Monthly Archives: June 2017

‘मिनिस्ट्री आॅफ अटमोस्ट हैप्पीनेस’ : आज के दौर का एक राजनीतिक दस्तावेज

बाल्ज़ाक ने कहा था ‘फिक्शन वस्तुतः देशों का गुप्त इतिहास होता है।’ लेकिन अरुन्धती राॅय का उपन्यास ‘मिनिस्ट्री आॅफ अटमोस्ट हैप्पीनेस’ भारत देश के वर्तमान दौर का एक ‘ओपन सीक्रेट’ है। यह एक ऐसा सीक्रेट है जिसे हम जितना ही … Continue reading

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अगर शार्क आदमी होते — बर्तोल्त ब्रेख्त

मकान मालकीन की छोटी लड़की ने क महाशय से पुछा– “अगर शार्क आदमी होते तो क्या छोटी मछलियों के साथ उनका व्यवहार सभ्य-शालीन होता?” उन्होंने कहा- “निश्चय ही, अगर शार्क आदमी होते तो वे छोटी मछलियों के लिए समुद्र में … Continue reading

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कृषि संकट : आर्थिक कुप्रबंधन की देन है – देविंदर शर्मा

देश में खेती की निर्भरता का सच क्या है? जीडीपी में योगदान का वास्तविक आंकड़ा कितना है? सच ये है कि हर प्रधानमंत्री देश को कृषि प्रधान बताता है। मगर बजट पेश करने वाला हर वित्त मंत्री बजट में एग्रीकल्चर … Continue reading

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