जिजीविषा और प्रतिरोध की प्रतीक ‘हेलन केलर’

Helen Keller and Anne Sullivan

Helen Keller and Anne Sullivan

‘हेलन केलर’ का जन्म 27 जून 1880 को अमरीका के ‘अलाबामा’ शहर में हुआ था। जन्म के महज 18 माह बाद एक बीमारी के कारण उनकी सुनने और देखने की शक्ति खत्म हो गयी। ना देख पाने व ना सुन पाने की बेचैनी के कारण बचपन में वे काफी आक्रामक और जिद्दी हो गयी थी। इससे घर में अक्सर समस्या खड़ी होती रहती थी। हेलन केलर के पिता उन्हे अनाथालय में भेजने का मन बना चुके थे। लेकिन हेलन की मां को यह मंजूर नही था। इसी बीच उन्हे ऐसे टीचर के बारे में पता चला जो अंधे और बहरे बच्चों को पढ़ा सकती है। मां ने किसी तरह हेलन केलर के पिता को इस पर सहमत कर लिया कि हेलन केलर को टीचर की निगरानी में रखा जाय। इस टीचर का नाम था- ‘एन्नी सूलीवान’।
मशहूर लेखक ‘मार्क ट्वेन’ ने बाद में ‘एन्नी सूलीवान’ को ‘मिरैकल वर्कर’ का नाम दिया। और इसी नाम से बाद में हेलन केलर और एन्नी सूलीवान के रिश्तों पर एक बेहद खूबसूरत फिल्म बनी। हिन्दी में बनी ‘ब्लैक’ फिल्म इसी फिल्म से प्रेरित है।
एन्नी सूलीवान खुद भी लगभग अंधता की शिकार थी। उन्हे बहुत ही कम दिखायी देता था। जीवन के अन्तिम 3 वर्ष तो उन्होने पूर्ण अंधता में बिताये। शायद इसी कारण वे हेलन केलर को अच्छी तरह समझती थी। बहरहाल हेलन केलर के आक्रमक व्यवहार और उनके जिद्दीपन का लगातार शिकार होते हुए भी अन्ततः उन्होने अपने इस छात्र का विश्वास जीत ही लिया। हाथों पर साइन के माध्यम से उन्होने आसपास के तमाम चीजों के नाम से हेलन केलर को परिचित कराया। पहला अक्षर उन्होने सिखाया – ‘वाटर’। किसी वस्तु के नाम को हम आसानी से ग्रहण कर लेते हैं। लेकिन एक अन्धे और बहरे के लिए यह बेहद कठिन काम है। लेकिन असली चमत्कार तो तब हुआ जब एन्नी सूलीवान ने हेलन केलर को बोलना सिखाया। ऐसी बच्ची के लिए जो 18 माह में ही बहरी हो गयी हो, बोलना लगभग असंभव है। दरअसल हेलन केलर ने अपनी अध्यापिका के होंठ पर, नाक और गले के larynx [स्वर यंत्र] पर एक साथ उंगली रख कर कड़े अभ्यास से प्रत्येक अक्षर को कैसे उच्चारित किया जाता है, यह सीख लिया। यह वास्तव में एक चमत्कार था। लेकिन यह हो गया। आज भी ‘लिप रीडिंग’ बहुत ही कठिन विधा है।
इसी बीच उन्होने ब्रेल लिपि भी सीख ली। और तेज गति से लिखने व पढ़ने लगी।
इसके बाद शुरु हुई उनकी राजनीतिक विकास यात्रा।
1909 में उन्होने ‘अमरीकी समाजवादी पार्टी’ की सदस्यता ग्रहण कर ली। वे ‘अमरीकन सिविल लिबर्टीज यूनियन’ के संस्थापक सदस्यों में थी। वे ‘आईडब्लूडब्लू’ [Industrial workers of the world] की भी सदस्य रही। अमरीका में ‘महिला मताधिकार’ के पक्ष में और युद्ध विरोधी आन्दोलनों में उनकी अग्रणी भूमिका रही। अमरीकी कम्युनिस्ट पार्टी के कई सदस्यों के साथ उनकी गहरी दोस्ती रही। हेलन केलर ने ‘WOODROW WILSON’S DOCTRINE’ जैसी विस्तारवादी अमेरिकन विदेश नीति का पुरजोर विरोध किया. 1955 में मैकार्थिज्म के शिकार मशहूर कम्युनिष्ट नेता ‘एलिजाबेथ फ्लायन’ को जेल में जब हेलन केलर ने बधाई सन्देश भेजा तो उस समय एक बड़ा बवाल खड़ा हो गया। ‘एफ बी आई’ की नजरों में हेलन केलर खटकने लगी।
दरअसल जब से हेलन केलर ने अपने समाजवादी विचारों को सामने लाना शुरु किया तभी से पूंजीवादी मीडिया ने निर्लज्जता के साथ उन पर आक्रमण शुरु कर दिया था। यह दिलचस्प है कि पहले जो मीडिया उनकी जिजीविषा की जयकार कर रहा था वही अब उनकी शारीरिक असमर्थता को उनके प्रगतिशील विचारों का कारण बताने लगा। और उन्हे तथा लोगों को बार बार याद दिलाने लगा कि हेलन केलर अंधी और बहरी हैं, इसलिए उनके विचारों को गम्भीरता से नही लेना चाहिए। ऐसे ही एक अखबार ‘ब्रुकलीन इगल’ के संपादक से हेलन केलर की बहस काफी दिलचस्प है जिसे हेलन केलर ने अपने एक लेख ‘How I Became a Socialist’ में विस्तार से बताया है। उन्होने चुनौती दी की मेरे विचारों का जवाब विचारों से दिया जाय। मेरे विचारों के आगे मेरे अंधेपन और बहरेपन को ना खड़ा किया जाय।
उन्होंने देश विदेश में घूम घूम कर सैकड़ों लेक्चर दिये। इनमें से ज्यादातर आज भी उपलब्ध हैं।
उन्होनें अपनी आत्मकथा सहित कुल 12 किताबें और सैकड़ों लेख लिखे हैं। ऐसे ही एक लेख में उन्होंने अमरीकी पूंजीवादी व्यवस्था पर बहुत ही तल्ख टिप्पणी की है। उन्होने इसे औद्योगिक रुप से अंधा और सामाजिक रुप से बहरा कहा।
इसके अलावा हेलन केलर पर दर्जनों डाक्यूमेन्टरी और फिल्में बन चुकी हैं। लेकिन अफसोस कि किसी भी फिल्म या डाक्यूमेन्टरी में उनके राजनीतिक विचारों और उनकी राजनीतिक कार्यवाहियों को जगह नही दी गयी है। इससे यह सवाल उठता है कि हेलन केलर का असल परिचय क्या है- अंधी बहरी हेलन केलर या अंधी बहरी इस व्यवस्था के खिलाफ संघर्षरत राजनीतिक हेलन केलर
हेलन केलर का निधन 1 जून 1968 को हुआ।
हेलन केलर और उनकी शिक्षिका एन्नी सूलीवान का एक दुर्लभ वीडियों आप यहां देख सकते हैं। इसे 1928 में शूट किया गया था।

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