Daily Archives: 2012/04/21

‘दास्तानगो’ के बहाने पंक्तियों के बीच छिपी कुछ बातें

पाखी के अपै्रल अंक में प्रियम्वद की लम्बी कहानी ‘दास्तानगो’ पढ़ कर खत्म की तो इतिहास का खुमार सा छा गया। अद्भुत! कहानी का जादू इतना जबरदस्त था कि देर तक समय की तकिया पर सोचते सोचते सो गयी और … Continue reading

Posted in General | 2 Comments