Daily Archives: 2014/08/15

फ़िलीस्तीन पर दो कविताएं……..

फ़िलीस्तीन कई बार तब्दील हो जाती हूं मैं पूरी की पूरी फ़िलीस्तीन में. तुम कहते हो तुम्हारा कोई वज़ूद नहीं फ़िलीस्तीन हम औरतों की तरह है एकदम. सदियों से अपने वज़ूद की लड़ाई लड़ता हुआ हरदम….. उल्फ़त बेपनाह मोहोब्बत करते … Continue reading

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