एक मरणासन्न रिटायर फ़ौजी की आख़िरी चिट्ठीः पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और पूर्व रक्षा मंत्री डिक चेनी के नाम संदेश
मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद/रूपांतरः शिवप्रसाद जोशी
श्री बुश और श्री चेनी,
इराक़ युद्ध की दसवीं बरसी पर, अपने साथी पूर्व फ़ौजियों के हवाले से मैं ये चिट्ठी लिख रहा हूं. मैं ये चिट्ठी लिख रहा हूं उन चार हज़ार चार सौ अट्ठासी सैनिकों के हवाले से जो इराक़ में मारे गए थे. मैं लिख रहा हूं उन सैकड़ों हज़ारों पूर्व सैनिकों की तरफ़ से जो घायल हुए थे जिन्होंने जख़्म खाए थे और मैं भी उनमें से एक हूं. मैं बुरी तरह घायलों में से एक हूं. 2004 में सद्र शहर में घुसपैठियों के साथ मुठभेड़ में मुझे लकवा हो गया. मेरी ज़िंदगी ख़त्म हो रही है. मरणासन्न मरीज़ के तौर पर मैं अस्पताली देखरेख में जीवित हूं.
मैं ये चिट्ठी लिख रहा हूं उन पतियों और पत्नियों की तरफ़ से जिन्होंने अपना दाम्पत्य खो दिया, उन बच्चों की तरफ़ से जिन्होंने अपने मांबाप गंवा दिए, उन पिताओं और मांओं की तरफ़ से जिन्होने बेटे और बेटियां गंवा दी और उन लोगों की तरफ़ से जो मेरे उन साथी फौज़ियों की देखभाल कर रहे हैं जिन्हें दिमागी चोटें आई थीं. मैं ये पत्र लिख रहा हूं उन पूर्व सैनिकों की तरफ़ से जो अपराधबोध से घिरे हैं और जिन्हें ख़ुद से नफ़रत हो गई है कि उन्होंने जो किया, जिसके वे चश्मदीद थे और जो उन्होंने भुगता और इन सब बातों ने उन्हें आत्महत्या की ओर धकेल दिया और क़रीब दस लाख मृत इराकियों की तरफ़ से भी मैं लिख रहा हूं और उन अनगिनत इराकियों की तरफ़ से जो घायल हुए. मैं हम सबकी तरफ़ से लिख रहा हूं- उस इंसानी मलबे की तरफ़ से जो आपके उस युद्ध के बाद पीछे पड़ा रह गया है, वे सारे के सारे लोग जो अपनी ज़िंदगियां कभी न ख़त्म होने वाले दर्द और दुख में काट रहे हैं.
आपकी सत्ताएं, आपकी लाखों डॉलरों की निजी दौलतें, आपके जनसंपर्क सलाहकार और आपके विशेषाधिकार और शक्तियां आपके किरदार के खोखलेपन को ढांप नहीं सकतीं. आपने हमें लड़ने और मरने के लिए इराक़ रवाना किया, चेनी महोदय आप एक अनिवार्य सैन्य ड्यूटी से निकल भागे थे और आप बुश महोदय अपनी नेशनल गार्ड यूनिट से आधिकारिक रूप से छुट्टी लिए बिना ग़ैरहाज़िर थे. आपकी कायरता और ख़ुदग़र्ज़ी दशकों पहले पता चल गई थी. हमारे राष्ट्र के लिए आप अपनी जान का जोखिम उठाने के लिए कभी भी तत्पर नहीं थे लेकिन आपने सैकड़ों हज़ार युवा आदमियों और औरतों को एक बेमानी युद्ध में बलिदान के लिए झोंक दिया मानो आप महज़ कबाड़ का ढेर हटा रहे थे.
मैं ये चिट्ठी, अपनी आखिरी चिट्ठी आपको बुश महोदय और चेनी महोदय आपको लिख रहा हूं. मैं इसलिए नहीं लिखता कि मैं सोचता हूं आपने अपने झूठों, चालबाज़ियों और दौलत और सत्ता की प्यास के भयानक मानवीय और नैतिक परिणामों को समझ लिया होगा. मैं ये चिट्ठी इसलिए लिख रहा हूं, अपनी मृत्यु से पहले, क्योंकि मैं ये बात साफ़ करना चाहता हूं कि मैं और मेरे जैसे हज़ारों फौजी, और मेरे लाखों सह नागरिक, लाखों करोड़ों वे नागरिक जो इराक़ में और मध्यपूर्व(पश्चिम एशिया) में रहते हैं- हम सब अच्छी तरह जानते हैं कि आप लोग कौन हैं और आपने क्या किया है. आप इंसाफ़ से बच निकलेंगे लेकिन हमारी निगाहों में आप दोनों अत्यन्त ख़राब युद्ध अपराधों, लूट और आख़िरकार हज़ारों अमेरिकियों की-मेरे साथी फौजियों की (जिनका भविष्य तुमने चुरा लिया)- उन सब की हत्या के दोषी हैं.
नौ बटा ग्यारह हमलों के दो दिन बाद मैं सेना में भर्ती हुआ था. मैं सेना में इसलिए आया क्योंकि हमारे देश पर हमला हुआ था. मैं उन लोगों को जवाब देना चाहता था जिन्होंने हमारे क़रीब तीन हज़ार नागरिकों को मार डाला था. मैंने इराक़ जाने के लिए सेना नहीं ज्वाइन की थी, उस देश का 9 बटा 11 के हमलों से कोई वास्ता नहीं था और वो अपने पड़ोसियों के लिए भी ख़तरा नहीं था. अमेरिका के लिए तो बिल्कुल भी नहीं. मैंने इराक़ियों को “मुक्त” कराने के लिए या जनसंहार के मिथकीय हथियारों को नष्ट करने या बगदाद या मध्यपूर्व में उस व्यवस्था को स्थापित करने के लिए सेना ज्वाइन नहीं की थी जिसे आप कटाक्ष की हद तक “डेमोक्रेसी” कहते थे. मैंने इराक़ के पुनर्निमाण के लिए सेना में भर्ती नहीं हुआ था जिसके बारे में आपने एक बार कहा था कि इराक के तेल राजस्वों से उसकी भरपाई हो जाएगी. हुआ उलटा. अमेरिका को युद्ध की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. पैसे में ही सिर्फ़ तीन करोड़ खरब डॉलर. मैं ख़ासकर युद्ध छेड़ने के लिए सेना में भर्ती नहीं हुआ था. इस तरह का युद्ध अंतरराष्ट्रीय क़ानून के दायरे में अवैध है. इराक में सैनिक के रूप में, मैं अब जानता हूं कि आपकी मूर्खता और आपके अपराधों को बढ़ावा दे रहा था. अमेरिकी इतिहास में इराक़ युद्ध सबसे बड़ी सामरिक चूक है. मध्यपूर्व में इसने सत्ता के संतुलन को नष्ट कर दिया है. इससे इराक में एक भ्रष्ट और क्रूर इरान समर्थक सरकार की स्थापना हुई है. जो यातना, जानलेवा दस्तों और आतंक के दम पर सत्ता में जड़ें जमा चुकी है और उसने ईरान को पूरे इलाके में बड़ी ताक़त बना दिया है. हर स्तर पर- नैतिक, सामरिक, सैन्य और आर्थिक- हर स्तर पर इराक़ एक नाकामी थी. और आपने- बुश महोदय आपने और चेनी महोदय आपने- आप दोनों ने ये युद्ध भड़काया. आप दोनों को ही इसके नतीजे भुगतने चाहिए.
दूसरे घायल और विकलांग रिटायर फौजियों की तरह मैंने भी इलाज में प्रशासन की बदइंतज़ामी और लापरवाही को झेला है. दूसरे घायल और टूटे हुए रिटायर सैनिकों की तरह मैं भी जान गया हूं कि हमारी मानसिक और शारीरिक कमियां और जख़्म आपके किसी काम के नहीं. शायद किसी भी नेता को हममें दिलचस्पी नहीं. हमारा इस्तेमाल किया गया. हमसे छल हुआ. और हमें अब ठुकरा दिया गया है. आप बुश महोदय, खुद को बड़ा ईसाई दिखाते हैं. लेकिन क्या झूठ बोलना पाप नहीं है. क्या चोरी और स्वार्थी इच्छाएं पाप नहीं हैं. मैं ईसाई नहीं हूं. लेकिन मैं ईसाईयत के विचार में यक़ीन रखता हूं. मैं मानता हूं कि जो भी कमतर से कमतर आप अपने भाईयों के साथ करते हैं वैसा ही आप आख़िरकार एक दिन अपने साथ करते हैं, अपनी आत्मा के साथ करते हैं.
अगर मैं अफ़ग़ानिस्तान में उन ताक़तों के ख़िलाफ़ घायल हुआ होता जिन्होंने 9 बटा 11 हमलों को अंजाम दिया था, तो मैं ये पत्र नहीं लिखता. मैं वहां घायल हुआ होता तो अपनी शारीरिक बदहाली और अवश्यंभावी मौत से तब भी वैसा ही घिसटता रहता, लेकिन मुझे तब कम से कम ये जानने की सुविधा रहती कि मेरी चोटें अपने देश के बचाने के मेरे अपने फ़ैसले की वजह से आई हैं-उस देश को जिसे मैं प्यार करता हूं. (अनुवादक, पूर्व सैनिक की भावना और तक़लीफ़ के प्रति पूरे सम्मान और सहानुभूति के बावजूद अफ़ग़ानिस्तान पर अमेरिकी युद्ध को किसी भी रूप में जायज़ नहीं मानता. सैनिक की मूल युद्ध विरोधी भावना में अफ़ग़ानिस्तान युद्ध के प्रति सहमति का होना अजीब विरोधाभास ही दिखाता है. और ये भी बताता है कि अमेरिकी सैनिकों का एक बड़ा तबका अफ़ग़ान मामले पर अब भी कैसा गुमराह है. हालांकि अफ़ग़ान युद्ध की छानबीन वाली रिपोर्टें/दस्तावेज/किताबें आ चुकी हैं, आ रही हैं) मुझे दर्दनिवारक दवाओं से भरे हुए अपने शरीर के साथ बिस्तर पर पड़े नही रहना था और इस तथ्य से जूझते नहीं रहना था कि तेल कंपनियों में अपने लालच के चलते, सऊदी अरब के तेल धनिक शेखों से अपने गठजोड़ के चलते और साम्राज्य के अपने उन्मादी नज़रिए के चलते आपने बच्चों समेत मेरे जैसे हज़ारों हज़ार लोगों को मौत की ओर धकेल दिया.
हिसाब किताब का मेरा वक़्त नज़दीक है. आपका भी आएगा. मुझे उम्मीद है आप पर मुक़दमा चलेगा. लेकिन ज़्यादा उम्मीद मुझे अब भी यही होती है कि अपनी ख़ातिर आपमें ये नैतिक साहस आ पाएगा कि आप उस सब का सामना कर सकें जो आपने मेरे साथ किया और बहुत सारे लोगों के साथ. उन बहुत सारों के साथ जिन्हें जीना चाहिए था. मैं उम्मीद करता हूं कि इस पृथ्वी पर अपना समय पूरा करने से पहले, जैसा कि मेरा अभी हो रहा है, आपके भीतर विवेक की इतनी जुंबिश आ पाएगी कि अमेरिकी जनता के सामने और दुनिया के सामने और ख़ासकर इराक़ी लोगों के सामने खड़े होकर आप माफ़ी की भीख मांग लेंगे.
बिस्तर पर बीमार और विकलांग पड़े टॉमस यंग इराक युद्ध में हिस्सा ले चुके पूर्व सैनिक हैं. 2007 में बनी बॉडी ऑफ़ वॉर नाम की अद्भुत डॉक्युमेंट्री फ़िल्म में प्रमुख क़िरदार और विषय भी वही थे. जानेमाने टीवी टॉक शो होस्ट फ़िल डोनाह्यु और एलन स्पाइरो ने ये फ़िल्म बनाई थी. 4 अप्रैल 2004 को इराक़ में उनका पांचवां दिन था. जब बगदाद के पड़ोसी शहर सद्र में उनकी यूनिट गोलीबारी की चपेट में आ गईं. एक गोली यंग को लगी, वो घायल हुए और उस गोली से उन्हें सीने से नीचे पूरे शरीर में लकवा मार गया. फिर वे दोबारा नहीं चल सके. तीन महीने बाद सरकारी चिकित्सा देखभाल से रिलीज़ होकर यंग घर लौटे और इराक वेटेरन्स अगेन्स्ट द वार नाम के एक संगठन में सक्रिय सदस्य बन गए. उन्होंने हाल में इच्छा मृत्यु का एलान किया है कि वो अपनी दवाएं और खाना नहीं लेंगे जो उन्हें एक नली के सहारे द्रव के रूप में दिए जाते हैं. खाने की नली को हटा दिए जाने के बाद टॉमस यंग धीरे धीरे मौत का रुख़ कर पाएंगें.
(डेमोक्रेसी नाऊ डॉट ओर्ग से साभार)
इराक युद्ध की 10वीं बरसी पर
एक जिद्दी धुन(http://ek-ziddi-dhun.blogspot.in) से साभार