बुद्धिजीवियो का निर्माण- अंतोनियो ग्राम्शी

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ग्राम्शी को इस दुनिया से रुखसत हुए 75 साल हो गये। अप्रैल में ही 1937 में उनका देहान्त हुआ था। वे इटली की कम्युनिष्ट पार्टी के सक्रिय योद्धा थे। उनका ज्यादातर समय जेल में ही बीता।
तब से लेकर आज तक उनके विचारों की प्रासंगिकता बरकरार है बल्कि बढ़ी ही है। ‘प्रिजन नोट बुक’ उनकी बहुत ही महत्वपूर्ण पुस्तक है।
सामाजिक आन्दोलनों के साथ बुद्धिजीवियो के रिश्तों पर जब भी चर्चा होती है तो उसका संदर्भ बिन्दु ग्राम्शी ही होते है। आखिर बुद्धिजीवियो का निर्माण होता कैसे है? ‘आवयविक बुद्धिजीवियो’ का उनका सिद्धांत बहुत ही मौलिक और प्रासंगिक है। उनके इस सिद्धांत को हेजेमनी के उनके सिद्धांत के साथ देखा जाना चाहिए। वर्ग समाज बनने के बाद से शासक वर्ग हमेशा अल्पमत में ही रहा है। लेकिन अपने वैचारिक और सांस्कृतिक प्रभुत्व के कारण वह लंबे समय तक बहुमत पर शासन करने में कामयाब रहता है। इसलिए इस वैचारिक और सांस्कृतिक प्रभुत्व को बिना चैंलेन्ज किए किसी वैकल्पिक समाज के लिए लड़ाई लगभग असंभव है। और यही पर बुद्धिजीवियो की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। लेकिन बुद्धिजीवी अपने आप में कोई स्वतंत्र वर्ग नही है बल्कि अपने अपने तबकांे और वर्गांे से आवयविक रुप से जुड़ा होता है।
पढि़ये ग्राम्शी का यह बेहद महत्वपूर्ण लेख। नीचे हाईलाइटेड ग्राम्शी पर क्लिक करके आप इसे पूरा पढ़ सकते है। इसका अनुवाद डिबेट आनलाइन की टीम ने किया है। हम वही से लेकर इसे यहां साभार छाप रहे हैं।

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