Daily Archives: 2015/05/17

कई चांद थे सरे आसमां

कई चांद थे सरे आसमां कि चमक चमक के पलट गए मिसरा अहमद मुश्ताक़ का है और लगभग 750 पन्नों का भारी-भरकम उपन्यास ‘कई चांद थे सरे आसमां’ लिख दिया उर्दू के विख्यात आलोचक शम्सुर्ररहमान फ़ारूक़ी ने। यूं तो उपन्यास … Continue reading

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