Author Archives: kriti shree

‘Land and Freedom’

पिछले ब्लाक में मैने ‘केन लोच’ की फिल्म ‘Land and Freedom’ पर टिप्पणी की थी। इस बार इसी पर कुछ बातें। फिल्म पर आने से पहले कुछ बातें उस दौर के बारे में, जिस पर फिल्म आधारित है। 1936 से … Continue reading

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which side are you on?

which side are you on ? Which Side Are You On? –A Song by Florence Patton Reece Come all of you good workers Good news to you I’ll tell Of how that good old union Has come in here to … Continue reading

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‘Carla’s Song’ – a must watch film

carla’s song फिल्म निकारागुआ से भागी एक ऐसी लड़की की कहानी है जो स्काटलैण्ड की एक झुग्गी बस्ती में रहती है। और सड़को पर गाना गाकर अपना गुजर बसर करती है। एक दिन पब्लिक बस में वह बिना टिकट पकड़ी … Continue reading

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हान सुइन नही रही!

चीनी क्रान्ति और चीनी इतिहास में जरा सी भी रुचि रखने वाला व्यक्ति हान सुइन (Han suyin) से अपरिचित नही होगा। परसों यानी 2 नवम्बर को उनका स्विटजरलैण्ड में 95 वर्ष की अवस्था में देहान्त हो गया। “morning deluge” और … Continue reading

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The Polyester Prince

केजरीवाल ने इस बार रिलायंस पर निशाना साधा है। लेकिन रिलायंस पर भ्रष्टाचार के आरोप इससे पहले भी लगते रहे है। ऑस्ट्रेलिया के एक पत्रकार Hamish McDonald ने 1998 में एक किताब लिखी थी- The Polyester Prince. बहुत रोचक तरीके … Continue reading

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PARTITION REVISITED

फैजाबाद का दंगा पुर्वनिवोजित था . पिछले साल रुद्रपुर में हुआ दंगा भी ऐसा ही था. सुनिए रुद्रपुर दंगे पे बनी एक बेहतरीन ऑडियो फिल्म. PARTITION REVISITED (based on 2011 Rudrapur, Uttarakhand riots)_mpeg1video  

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वाह छोटे म़िया,क्या डांस है………….

वाह छोटे म़िया………………..बहुत खूब .

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नीलोफ़र

वह रोज़ मेरे ज़हन में शबनम बनके झरा करती है, चुपचाप.. स्मृतियों की हरी घास पर न जाने कब आकर चिपक जाती है लिपट जाती है मुझसे मुझे बचा लो… नहीं कर पाती मैं कुछ. क़तरा-क़तरा साफ शफ़्फ़ाक़ शबनम की … Continue reading

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तमाम कामचोर पैदा कर दिए, हिंदी की अकादमिक दुनिया ने-पंकज बिष्ट

कल चाय की दुकान पर बैठी चाय की चुस्कियंा ले रही थी, तभी मेरी नज़र उस पकौड़े वाले प्लेट पर पड़ी जो एक पुराने अखबार से ढका था। अखबार पर पंकज बिष्ट की तस्वीर थी। मैने उत्सुकता पूर्वक अखबार उठाया। अखबार … Continue reading

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जाने भी दो यारों-एक कल्ट फिल्म

      कल बहुत सालों बाद जाने भी दो यारों  दुबारा देखी। आश्चर्यजनक रुप से यह आज के हालात में कही ज्यादा प्रासंगिक लगी। आज भ्रष्टाचार का जो रुप है और उसमे रियल स्टेट – ब्यूरोक्रेसी – मीडिया का … Continue reading

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