Author Archives: kriti shree

‘जय भीम कामरेड’ – एक वीडियो दस्तावेज

आनन्द पटवर्धन की अन्य फिल्मों की तरह ही, यह भी एक वीडियो दस्तावेज है। ‘जय भीम कामरेड’ में आनन्द पटवर्धन ने दलित लोकगायक विलास घोघरे के बहाने पूरे महाराष्ट्र के दलित आन्दोलन और ‘मुख्यधारा’ की राजनीति के साथ उसके अन्तरसम्बन्धों … Continue reading

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‘’द ग्रेप्स आफ राथ’: समाज को प्रतिबिम्बित करती एक अद्भुत फिल्म!

अभी-अभी एक शानदार फिल्म देख कर उठी हूं-‘द ग्रेप्स आफ राथ’। जान फोर्ड द्वारा 1940 में बनायी गयी यह फिल्म इसी नाम के जान स्टीनबेग के प्रसिद्ध उपन्यास पर आधारित है। 1929-30 की मन्दी की पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म मानव … Continue reading

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India: The corrupt crusade against corruption! – by lal khan

Societies seething with discontent and deprivation erupt in most peculiar ways. In India’s egregiously unequal society, the recent upheaval, if at all it can be called that, around the right-wing conservative social activist Anna Hazare shows the malaise that has … Continue reading

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राम चन्द्र गुहा की इतिहासदृष्टिः कुछ नोट्स

अभी-अभी रामचन्द्र गुहा की किताब ‘इन्डिया आफ्टर गांधी’ का हिन्दी अनुवाद ‘भारत गांधी के बाद, दुनिया के विशालतम लोकतन्त्र  का इतिहास’….पढ़ कर खत्म की। पूरी किताब को पढ़ते वक्त दिमाग में अनेकों सवाल उमड़ते घुमड़ते रहे। हालांकि यह भी सही … Continue reading

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पेरिस कम्यून पर एक महत्वपूर्ण फिल्म-‘ला कम्यून’

मशहूर फिल्मकार पीटर वाटकिन ने 1999 में पेरिस कम्यून पर एक फिल्म बनायी-‘ला कम्यून’। साढ़े पांच घण्टे की यह फिल्म इतिहास के किसी कालखण्ड पर बनी अब तक की सबसे विश्वसनीय फिल्मों में से एक है। पेरिस व आसपास के … Continue reading

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Remembering Domitila: Making Bolivian History

Emily Achtenberg Rebel Currents March 15, 2012 Bolivians paid tribute this week to Domitila Barrios de Chungara, long-time social activist, union leader, feminist, revolutionary, and national heroine who died March 13 in Cochabamba at age 74. She is best known … Continue reading

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स्त्री विरोधी दृष्टि बनाम पोर्नोग्राफी

इन दिनों शालिनी माथुर के लेख ‘व्याधि पर कविता या कविता की व्याधि’ ने धमाल मचाया हुआ है। हिन्दी साहित्य में ऐेसे धमाल पहले भी होते रहे हैं। कभी आलोचना के क्षेत्र में तो कभी कविता और कहानियों के क्षेत्र … Continue reading

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शिगाफः चाशनी में पगा ज़हर

मनीषा कुलश्रेष्ठ का उपन्यास ‘शिगाफ’ पढ़ने का काफी दिनों से मन था। एक तो यह उपन्यास कश्मीर की पृष्ठभूमि पर है जो भारतीय इतिहास के बहुत से विषयों की तरह मन में फांस की तरह चुभती रहती है। दूसरी तरफ … Continue reading

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सिर्फ एक मां ही इस दर्द को समझ सकती है……….

राजीव गांधी की हत्या के 20 दिन बाद 11 जून 1991 की आधी रात को पुलिस ने जोलारपेट्टई में हमारे घर पर धावा बोला। लिट्टे के नेता प्रभाकरन की एक फोटो टीवी के ऊपर रखी हुयी थी। पुलिस ने उसे … Continue reading

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गुवाहाटी दुःस्वप्न : सवाल दर सवाल…….

फिर एक घटना घटी…………..फिर एक लड़की को सरेआम अपमानित किया गया………..देश फिर  शर्मसार   हुआ……..फिर तथाकथित भारतीय संस्कृति कलंकित हुयी………….। टीवी चैनलों को बहस का मुद्दा मिल गया……….काफी गम और गुस्सा जाहिर किया गया…………. इस घटना पर गुस्सा आना बहुत ही … Continue reading

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