Author Archives: kriti shree

कई चांद थे सरे आसमां

कई चांद थे सरे आसमां कि चमक चमक के पलट गए मिसरा अहमद मुश्ताक़ का है और लगभग 750 पन्नों का भारी-भरकम उपन्यास ‘कई चांद थे सरे आसमां’ लिख दिया उर्दू के विख्यात आलोचक शम्सुर्ररहमान फ़ारूक़ी ने। यूं तो उपन्यास … Continue reading

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‘सेलफोन’ – एर्नेस्तो कार्देनाल

आप अपने सेलफोन पर बात करते हैं करते रहते हैं करते जाते हैं और हँसते हैं अपने सेलफोन पर यह न जानते हुए कि वह कैसे बना था और यह तो और भी कि वह कैसे काम करता है लेकिन … Continue reading

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While the trigger of the disaster is natural—an earthquake—“the consequences are very much man-made.” By Li Onesto

Saturday, April 25, at 11:56am, a powerful earthquake hit the country of Nepal. Within minutes, in the capital of Kathmandu, a densely populated city of 1.2 million people, buildings were reduced to rubble, street after street. Hundreds of bodies buried … Continue reading

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Malcolm X

भारत में 70 के दशक का ‘दलित पैंथर आन्दोलन’ अमेरिका के ‘ब्लैक पैंथर आन्दोलन’ से प्रभावित रहा है। 1966 में शुरु हुआ ब्लैक पैंथर आन्दोलन सीधे सीधे वहां के रैडिकल ब्लैक लीडर ‘मैल्कम एक्स’ के विचारों और उनके व्यक्तित्व से … Continue reading

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आठ मार्च: औरतों के अस्तित्व के संघर्ष को सलाम!!

आज, 8 मार्च 2015 अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस को ‘त्रिशूर’ केरल स्थित रिटेल शोरूम ‘कल्याण सारीज़’ की महिला कर्मचारियों की हड़ताल अपने 64 वें दिन प्रवेश कर रही है। कल्याण सिल्क के फेसबुक पेज पर 8 मार्च के दिन महिलाओं का … Continue reading

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Silence, on Vaccine: Shots in the Dark

आपने अपने टीवी स्क्रीन पर ‘दो बूंद जिंदगी की’ का प्रचार जरुर देखा होगा। यह प्रचार ‘पोलियो’ के टीके का है। ‘अमिताभ बच्चन’ इसके ब्राण्ड अम्बेसडर हैं। भारत में और पूरी दुनिया में टीकाकरण का बहुत ही आक्रामक प्रचार किया … Continue reading

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एक मजदूर कवि की मौत…..

‘शू लिझी’ [Xu Lizhi] उस वक्त महज 24 वर्ष के थे, जब उन्होने पिछले वर्ष 30 सितम्बर को अपनी बहुमंजिला मजदूर डारमेट्री से छलांग लगाकर अपना जीवन समाप्त कर लिया था। वे ‘फाॅक्सकान’ नामक इलेक्ट्रानिक सामान बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी … Continue reading

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‘‘पैसा ख़ुदा तो नही लेकिन ख़ुदा की कसम ख़ुदा से कम भी नहीं।’’

‘‘पैसा ख़ुदा तो नही लेकिन ख़ुदा की कसम ख़ुदा से कम भी नहीं।’’ यह ‘उत्तम सूक्ति’ कुछ वर्षो पहले छत्तीसगढ़ में एक मंत्री ने रुपयों की कई गड्डियां घूस में लेते हुए उचारे थे। इस ‘सूक्ति वाक्य’ को एक खुफिये … Continue reading

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यह दुनिया किसकी हैं…

आज जब पूरी दुनिया एक बार फिर मंदी में गोते लगा रही है तो 1929 की ‘महामंदी’ पर बनी यह क्लासिक फिल्म (Kuhle Wampe, or Who Owns the World?) बार बार याद आ रही है। इस फिल्म से ‘ब्रेख्त’ और … Continue reading

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The Great Class War, 1914-1918

प्रथम-विश्वयुद्ध की 100 वीं बरसी पर Dr. Jacques Pauwels की नई किताब “The Great Class War of 1914-1918” का सारांश विश्व युद्ध 1914 की गर्मियों में अचानक शुरु नही हुआ। और ना ही यह कोई सामूहिक ‘मूर्खता’ का परिणाम था। … Continue reading

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